संस्कृत समवाय
संस्कृत विभाग, पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय का उद्देश्य छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए समुचित वातावरण प्रदान करना है। संस्कृत विभाग की सोसायटी "संस्कृत समवाय" संस्कृत भाषा एवं भारतीय ज्ञान परम्परा को नए छात्रों तक पहुँचाने के लिए कृतसंकल्पित है। संस्कृत समवाय संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए दशदिवसीय संस्कृत सम्भाषण शिविर प्रत्येक वर्ष आयोजित करता है। पिछले पन्द्रह वर्षों से संस्कृत समवाय शास्त्रीय ग्रन्थों, जीवन मूल्यों, प्राचीन विज्ञान की परम्पराओं पर कई विशिष्ट विद्वानों का व्याख्यान आयोजित करवा चुकी है। "वेद व्याख्यान मंजरी" संस्कृत समवाय की अकादमिक गतिविधियों को लगातार नए आयाम देती रही है। विद्यार्थियों में संस्कृत के प्रति रुचि और इस प्राचीनतम भाषा का आधुनिक काल के साथ समागम एवं प्रासंगिकता, संस्कृत समवाय का मुख्य ध्येय हैं। अभी तक संस्कृत समवाय, अनेकानेक व्याख्यानों का सफलता पूर्वक आयोजन कर चुकी है, इसके अतिरिक्त नवागन्तुक छात्रों का स्वागत समारोह एवं सौप्रस्थानिक समारोह सहित कई सारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन संस्कृत समवाय के द्वारा किया जाता है।
• संस्कृत विभाग की संस्कृत समवाय समिति के द्वारा 19 अप्रैल 2022 मंगलवार को "वेद व्याख्यान मञ्जरी" व्याख्यान माला के अन्तर्गत प्रसिद्ध वैदिक गणित के विद्वान और दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो. दयाशंकर तिवारी जी का व्याख्यान आयोजित किया। इस व्याख्यान का विषय "वैदिक वाङ्मय में ज्ञान-विज्ञान परम्परा" रखा गया था। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित करके किया गया।
• संस्कृत-समवाय के द्वारा "वेद व्याख्यान मञ्जरी" व्याख्यानमाला के अन्तर्गत शुक्रवार 31 जुलाई, 2020 को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय- "कौटिल्य की प्रशासन व्यवस्था" निर्धारित किया गया था। मुख्यवक्ता के रूप में प्रो. संतोष कुमार शुक्ल, संकाय प्रमुख, संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली आमंत्रित थे। प्रो. संतोष कुमार शुक्ल ने व्याख्यानमाला के गौरवशाली परम्परा के अनुरूप बहुत ही सहज सरल ढंग से छात्रों को ध्यान में रखते हुए अपना व्याख्यान प्रारंभ किया। उन्होंने कहा- व्यवस्थाओं का विश्वकोश है कौटिल्य का अर्थशास्त्र।
• 27 फरवरी 2021 को गूगल मीट पर "वेद-व्याख्यान मञ्जरी" के अन्तर्गत दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत एवं कम्प्यूटर के विद्वान डॉ. सुभाषचन्द्र का बहुत ही महत्वपूर्ण व्याख्यान- "संस्कृत का संगणकीय अनुप्रयोग" विषय पर सम्पन्न हुआ। डॉ. सुभाष चन्द्र ने अपने व्याख्यान का प्रारंभ करते हुए कहा- हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत थी, सभी संस्कृत में वार्तालाप भी करते थे। युद्ध कला, चिकित्सा शास्त्र, राजनीतिक शास्त्र सारी चीजें संस्कृत भाषा में डॉक्यूमेंटेड है।
• आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई.क्यू.ए.सी.), एवं संस्कृत विभाग पीजीडीएवी कॉलेज और संस्कृत भारती, दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित एक पन्द्रह दिवसीय पाठ्यक्रम जो 01 अप्रैल 2021 से प्रारंभ होकर 15 अप्रैल 2021 को सम्पन्न हुआ। इस प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम का नाम- "संस्कृत संभाषण शिविर एवं भारतीय ज्ञान परंपरा : समकालीन परिप्रेक्ष्य" रखा गया था। इस पाठ्यक्रम के दो भाग थे, पहले भाग में छात्रों को संस्कृत का सरल संभाषण करना सिखाया गया एवं दूसरे भाग में पांच प्रसिद्ध विद्वानों का व्याख्यान हुआ।
11 अप्रैल 2021 को भारतीय ज्ञान परम्परा व्याख्यान श्रृंखला के अन्तर्गत पहला व्याख्यान दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो. दयाशंकर तिवारी ने संस्कृत वाङ्मय में विज्ञान विषय पर रोचक व्याख्यान दिया। दूसरे व्याख्यान 12 अप्रैल को छात्रों एवं सहयोगी प्राध्यापकों के विशेष अनुरोध पर इस पन्द्रह दिवसीय पाठ्यक्रम के संयोजक डॉ. दिलीप कुमार झा सर ने "राष्ट्र की अवधारणा : शास्त्रीय ग्रन्थों में" इस विषय पर व्याख्यान दिया। तीसरे व्याख्यान 13 अप्रैल को विद्वान वक्ता के रूप में आमंत्रित थे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान के प्रो. ब्रजेश कुमार पाण्डेय। उन्होंने "श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन मूल्य" विषय पर बहुत ही गम्भीर और दार्शनिक व्याख्यान दिया।
उसी क्रम में चौथे दिन 14 अप्रैल को प्रो. रणजीत बेहेरा सर का व्याख्यान हुआ, जिसमें उन्होंने वेद व्याख्यान की परम्परा विषय पर यास्क से लेकर सायण तक और आधुनिक युग के वेद व्याख्याकार महर्षि दयानन्द सरस्वती तक की व्याख्या पद्धति को समझाया। अंतिम और समापन दिवस पर 15 अप्रैल को प्रो. ओमनाथ बिमली का "चित्त, समाधि, योग एवं आत्मा साक्षात्कार : पातञ्जल योगदर्शन की केन्द्रीय अवधारणाएं" इस विषय पर बहुत ही उपयोगी व्याख्यान हुआ।
• संस्कृत-समवाय के तत्वावधान में 20 सितम्बर 2019 को "वेद व्याख्यान मञ्जरी" श्रृंखला के अन्तर्गत "नाट्यशास्त्र की वेदमूलकता" विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में दिल्ली विश्वविद्यालय, संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मीरा द्विवेदी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया।
• संस्कृत-समवाय के द्वारा "वर्तमान सन्दर्भ में संस्कृत का पठन-पाठन एवं परीक्षा की तैयारी" इस विषय पर 28 अप्रैल 2020 को एक वेबिनार आयोजित किया गया। जिसमें मुख्यवक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश चन्द्र भारद्वाज ने कहा कि आज के नए अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में साइंस एवं टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
पी.जी.डी.ए.वी महाविद्यालय के आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC), संस्कृत-विभाग की अकादमिक संस्था संस्कृत-समवाय एवं शाईनिंगमून शशि फाउंडेशन के द्वारा 06 फरवरी से 22 फरवरी 2024 तक पन्द्रह दिवसीय प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम "सुपरचार्ज योर माइंड" (SUPERCHARGE YOUR MIND) संचालित किया गया। इस विशेष पाठ्यक्रम की रूपरेखा आई आई टी के प्रोफेसरों एवं डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के द्वारा बनाया गया है। यह विशुद्ध अध्यात्मिक और मनुष्य के समग्र विकास पर केन्द्रित है। आज पहली कक्षा में पढ़ने वाले छोटे बच्चे से लेकर उच्च शिक्षा और शोधकार्य में लगे छात्र तक आत्मप्रबंधन में असफल और परेशान हैं। पैसे की भूख, तृष्णा, धनलिप्सा, स्वार्थपरायणता इत्यादि के द्वारा भौतिक सुख सुविधा के साधन होने पर भी मानसिक शान्ति नहीं है। इस विशेष पाठयक्रम को बच्चों ने खूब सराहा और बहुत ही उत्साह से भाग लिया।