चिंतन ( हिंदी साहित्य सभा)
2023-24
संयोजिका- प्रो.सुषमा चौधरी
प्रभारी -प्रो.बन्ना राम मीना
प्रत्येक सप्ताह किसी कवि या लेखक के जन्म अथवा पुण्यतिथि पर हम निरंतर पोस्टर रिलीज करते रहे हैं,जहां हम कवियों एवं लेखकों के जीवन परिचय के साथ उनके प्रमुख रचनाओं से सबको अवगत कराते हैं।
दो राष्ट्रीय संगोष्ठी हिंदी विभाग एवं चिंतन के संयुक्त तत्वाधान में पूर्ण हुआ, जिसका विषय-
१)सोशल मीडिया: सत्य तथ्य तथा मिथ
मुख्य अतिथि वक्ता डॉ राकेश कुमार सिंह ने विभिन्न तथ्यात्मक जानकारी एवं रिपोर्टों के बारे में चर्चा की,इस सूचना क्रांति के युग में सोशल मीडिया के महत्व को स्पष्ट करते हुए उन्होंने देश के प्रधानमंत्री के कथन का भी प्रयोग किया, वर्तमान समय में किस तरह सोशल मीडिया की प्राथमिकता बढ़ती जा रही है उसका विस्तृत उल्लेख किया। इसके बाद दूसरे वक्त प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में हमारी संस्कृति के साथ सोशल मीडिया को जोड़ते हुए सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तत्वों की चर्चा की, उन्होंने बताया सोशल मीडिया अभिव्यक्ति का माध्यम है, प्रसिद्धि का आधार है तो दूसरी तरफ विष से ज्यादा विषैला है। पोर्नोग्राफी,चाइल्ड पॉर्नोग्राफी, टेररिज्म, गोदी मीडिया, फेक मीडिया, डीप फेक मीडिया आदि तथ्यों पर इन्होंने अपना वक्तव्य दिया। इस सूचना क्रांति के युग में छात्रों के लिए सोशल मीडिया कितना लाभदायक एवं हानिकारक हो सकता है, उसके बारे में इन्होंने चर्चा किया। सोशल मीडिया के माध्यम से फ़ैल रही राजनीतिक विद्रूपता पर भी इन्होंने वक्तव्य दिया।
२) भूमंडलीकृत विश्व में मातृभाषा का सवाल
मुख्य अतिथि के रूप में रहे एकांत श्रीवास्तव सर वर्तमान समय में मातृभाषा के महत्व एवं प्रासंगिकता स्पष्ट करते नजर आए साथ ही साथ अपनी कविताओं के माध्यम से मध्यम वर्ग के जीवन संघर्षों की चर्चा की।