भारतीय संस्कृति सभा

भारतीय संस्कृति सभा

About

भारतीय संस्कृति सभा अपने स्थापना वर्ष 1961 से अनवरत कार्य कर रही है । इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में सनातन संस्कृति व राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत मानवीय गुणों से पोषित, श्रद्धावान एवं विवेकवान व्यक्तित्व का निर्माण करना , जिससे परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व का कल्याण हो सके। इसके अंतर्गत विभिन्न व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है तथा छात्रों के लिए अनेक प्रतिस्पर्धाओं का भी आयोजन किया जाता है जिससे छात्रों में अपनी संस्कृति व सभ्यता की ओर रुझान बढ़ सके । समय-समय पर पुस्तक परिचर्चा आदि कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है ।

Core Team

Faculty Members

  • Dr. Ramveer : Convenor
  • Dr. Pramita Mishra : Co-Convenor

Student Coordinator

  • President : Ayush Gupta
  • Vice President : Megha Khatri
  • Secretary : Govindo Chakraborty
  • Joint Secretary : Aditya Ram
  • Treasurer : Shivam Kumar

Major events organised

शैक्षणिक सत्र 2022-23 में भारतीय संस्कृति सभा ने सक्रिय भूमिका के माध्यम से महाविद्यालय के छात्रों में सर्वांगीण गुणों का विकास और संस्कृति के प्रति नवचेतना का प्रचार-प्रसार किया। 18 जुलाई, 2022 को "Teachings of Sri Aurobindo" विषय पर श्री अरबिन्दो की 150वीं जयन्ती वर्ष के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सुश्री लिपिका रानी ने मुख्य भाषण दिया। इसके पश्चात 8 अगस्त 2022 से 13 अगस्त 2022 तक साप्ताहिक व्याख्यान माला का आयोजन "आजादी का 75 वौ वर्ष, अमृत महोत्सव" के उपलक्ष्य में किया गया, जिसमें 8 अगस्त 2022 को "आजादी के अमृत महोत्सव में नए भारत का उदय" विषय पर प्रो. संजीव कुमार तिवारी ने मुख्य भाषण दिया। 12 अगस्त 2022 को "भारतीय संस्कृति के विविध आयाम और युवा शक्ति" विषय पर व्याख्यान दिया गया, जिसमें निखिल यादव ने मुख्य भाषण दिया। समापन सत्र 13 अगस्त 2022 को "भारतीय संस्कृति के आलोक में क्रांतिकारियों का साहित्य" विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें प्रो. अवनिजेश अवस्थी ने मुख्य भाषण दिया। इसके अलावा, 5 सितम्बर 2022 को शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें प्रो०- डी. एस. रावत मुख्य अतिथि थे। 2 नवंबर 2022 को प्रथम वर्ष के नवागंतुक छात्रों का स्वागत वैदिक हवन के साथ हुआ। ये सभी कार्यक्रम छात्रों के विकास और संस्कृति के प्रति उनकी जागरूकता को बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय युवा दिवस के कार्यक्रम में विद्यार्थियों शिक्षकों ने साकारत्मक प्रयास दिखाकर इसे सफल बनाया। महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकों ने अपने ज्ञान और अनुभव से योगदान दिया। इस उत्सव ने युवाओं को समाज में सकारात्मक सोच और कर्मठता की प्रेरणा दी। इस सफलता में सभा और विद्यालय के सभी सदस्यों का योगदान है। आने वाले समय में भी ऐसे उत्सव का आयोजन कर राष्ट्र की युवा शक्ति को प्रेरित करना महत्वपूर्ण है। आगे भी भारतीय संस्कृति सभा इसी प्रयास में लगे रहेगी कि लोगों की सेवा में लगे रहे |

 

शैक्षणिक सत्र 2022-23 में भारतीय संस्कृति सभा ने सक्रिय भूमिका में महाविद्यालय के छात्रों में सर्वांगीण गुणों का विकास और संस्कृति के प्रति नवचेतना का प्रचार-प्रसार कर सच्चे देश भक्त की भावना से ओत-प्रोत करने का दायित्व निभाया है।
 सभा का प्रथम कार्यक्रम श्री अरबिन्दो की 150वीं जयन्ती वर्ष के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया।  Teachings of Sri Aurobindo  विषय पर 18 जुलाई, 2022 को Eager to Forge Ahead (India) और महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के साथ मिलकर किया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सुश्री लिपिका रानी रहीं।
दूसरे कार्यक्रम के रूप में सभा ने 8 अगस्त 2022 से 13 अगस्त 2022 तक साप्ताहिक व्याख्यान माला का आयोजन आजादी का 75 वा̐ अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में किया I
8 अगस्त, 2022 को उद्‌घाटन सत्र का विषय -  आजादी के अमृत महोत्सव में नए भारत का उदय  रहा। महाराजा अग्रसेन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार तिवारी मुख्य अतिथि के रुप में पधारे। प्रो. तिवारी ने आज़ाद भारत से लेकर आत्मनिर्भर भारत की ओर सबका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि, यह वर्ष स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का अमृत वर्ष है। यह महोत्सव आत्मनिर्भरता का अमृत वर्ष है। यह वर्ष हर घर तिरंगा, हर मन तिरंगा का अमृत वर्ष है। आजादी की लड़ाई में हर घर, हर समाज ने अपना योगदान दिया है। त्याग को याद करने के लिए अमृत महोत्सव मनाया जाता रहा है। जिनका इतिहास के पन्नो में जिक्र तक नहीं मिलता उनके त्याग को नयी पीढ़ी को बताने का यह अमृत वर्ष है। यह वर्ष भारत को विश्वगुरु के पद पर पुनः स्थापित करने का अमृत वर्ष है। आजाद भारत से आत्मनिर्भर बनते भारत का अमृत महोत्सव हम सब आज मना रहे हैं।
नए भारत के उदय के सन्दर्भ में सारगर्भित व्याख्यान रहा। अध्यक्षता, महाविद्यालय की प्राचार्या महोदया प्रो. कृष्णा शर्मा ने की तथा उनके उद्बोधन के रूप में आशीर्वाद व साधुवाद की प्राप्ति विद्यार्थियों और शिक्षकों को हुई।
 12 अगस्त 2022 का व्याख्यान - भारतीय संस्कृति के विविध आयाम और युवा शक्ति' विषय पर रखा। प्रमुख वक्ता- श्री निखिल यादव, प्रांत युवा प्रमुख, उत्तर प्रांत, विवेकानन्द केन्द्र, दिल्ली ने अपनी वाणी और विचारों से युवा शक्ति में जोश, उत्साह, उमंग के साथ-साथ धैर्य-हिम्मत, अटल, अडिग विश्वास युवाओं में प्रेरणा के स्रोत का उद्गम बना। अध्यक्ष के रूप में प्रो. सुरेन्द्र कुमार, वाणिज्य विभाग एवं कोषाध्यक्ष, पी.जी.डी.ए.वी महाविद्यालय, रहे। आपने भारतीय संस्कृति की विरासत का जिक्र करते हुए छात्रों को शाश्वत सत्य से परिचित कराया।
 समापन सत्र 13 अगस्त 2022 को रहा जिसका विषय-"भारतीय संस्कृति के आलोक में क्रांतिकारियों का साहित्य" था। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्तर के संघ विचारक प्रो. अवनिजेश अवस्थी, (हिन्दी विभाग, पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय) रहे। आप ने बताया क्रांतिकारियों के साहित्य का सृजन जो वह विपरीत परिस्थितियों में, साधन रहित रह कर भी मौखिक रूप से और दीवारों पर पत्थरों व नखूनों से कुरेदकर काल - कोठरियों में निरंतर करते रहे। भारतीय संस्कृति की रक्षा व सेवा, भारत माता की सेवा में सदैव अडिग रह कर अपने प्राणों की परवाह किये बगैर करते रहे। आज हमें उनके जीवन और साहित्य से नए विचारों और शक्ति का संचार हमारे अन्दर अनुभव करना चाहिए।  शिक्षकों व छात्रों को क्रांतिकारियों का साहित्य पढ़ना चाहिए। आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित करना होगा तभी भारतीय संस्कृति व सनातन सत्य का सतत प्रवाह रह सकेगा। प्रो. अश्विनी महाजन, अर्थशास्त्र विभाग, पी.जी.डी.ए.वी महाविद्यालय ने समापन सत्र की अध्यक्षता की। आप ने अपने विचारों और ज्ञान के अथक स्रोत से श्रोताओं को प्रोत्साहित करते हुए देश भक्ति, समाज सेवा का जज्बा विद्यार्थियों में भरा । आपके भाषण के सकारात्मक प्रभाव ने शिक्षक, छात्रों, छात्राओं के जीवन को जीने का उद्देश्य स्पष्ट  किया। विद्यार्थियों ने संकल्पित हो निष्ठा व श्रद्धा का परिचय दिया ।
 5 सितम्बर 2022 को शिक्षक दिवस का आयोजन भारतीय संस्कृति सभा और राष्ट्रीय सेवा योजना ने मिलकर किया। प्रो०- डी. एस. रावत, अधिष्ठाता, परीक्षा, दिल्ली विश्वविद्यालय को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। प्रो० रावत ने वर्तमान समय में गुरु की गिरती गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की और माना की इससे विद्यार्थियों के जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि योग्य शिक्षकों की कमी भारत देश को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी। कार्यक्रम की रूप रेखा डा̆. चन्द्रपाल सिंह, इतिहास विभाग ने रखी। प्रो० कृष्णा शर्मा, प्राचार्या, पी.जी. डी.ए.वी महाविद्यालय ने स्वागत भाषण देते हुए- गुरु की गरिमा, और महत्ता को रेखांकित किया और गुरु के दर्जे को माँ की तुलना में सर्वोपरि माना। विद्यार्थियों को शिक्षकों के प्रति सम्मान व कृतज्ञता का भाव रखने के लिए प्रेरित किया।
महाविद्यालय के कोषाध्यक्ष डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने शिक्षा और शिक्षक की भूमिका पर जोर दिया। राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डाला। एक सच्चा शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर देश के भविष्य को उज्ज्वल करता है।
 2 नम्बर 2022 को प्रथम वर्ष के नवागंतुक छात्रों का स्वागत वैदिक हवन द्वारा प्राचार्या महोदया के करकमलों से हुआ। महाविद्यालय के प्रांगण में वैदिक मंत्रों की ध्वनि गुंजायमान रही । हवन उपरान्त भारतीय संस्कृति सभा के छात्र-छात्राओं द्वारा नवागंतुक छात्रों को चंदन तिलक लगा कर सभागार में बैठाया गया।
सभागार में उपस्थित सभी विद्यार्थियों को विभिन्न विभागाध्यक्षों व विभिन्न समितियों के अध्यक्षों के माध्यम से महाविद्यालय की गतिविधियों व आगामी कार्यक्रमों के विषय में विस्तार से समझाया गया। प्राचार्या प्रो. कृष्णा शर्मा ने स्वागत भाषण के दौरान अनुशासन पर बल दिया। अनुशासित जीवन ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। विद्यार्थियों को अनुशासित बनने का उपदेश दिया।
 12 जनवरी 2023 को सभा ने सत्र के अन्तिम कार्यक्रम के रूप में राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया | मुख्य वक्ता श्री निखिल यादव, प्रांत युवा प्रमुख, उत्तर प्रांत, विवेकानन्द केन्द्र, दिल्ली ने सभी छात्रों को प्रेरित व अभिप्रेरित कर देश भक्ति, देश शक्ति व समाज की शक्ति को सकारात्मक कामों में संचालित करने का प्रयास किया। युवा शक्ति को समाज के निर्माण में सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। विचारों से युवा शक्ति को विवेकानंद जैसा जीवन-संकल्प ले कर आगे बढ़ना चाहिए। जिस प्रकार स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो धर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म का परचम लहराया। उसी का अनुसरण छात्रों को करना चाहिए। विश्व के हर देश को भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म से प्रकाश मिल रहा है क्योंकि भारतीय संस्कृति का कार्य है, निर्माण करना और संयोजन। जोड़ने के साथ समाज में चेतना जागृत करना तथा मन में अटल विश्वास की दीवार का निर्माण कर देश सेवा, समाज सेवा व नर से नारायण सेवा का भाव भारतीय संस्कृति से मिल रहा है। 
राष्ट्रीय युवा दिवस के कार्यक्रम में विद्यार्थियों व शिक्षकों ने आगे बढ़ कर कार्यक्रम में हिस्सा लिया व कार्यक्रम को सफल किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकों ने भी बैठकर अपने ज्ञान में वृद्धि कर, लाभान्वित अनुभव किया।
अत:, अन्त में मैं (रामवीर), अध्यक्ष, भारतीय संस्कृति सभा, सभा के सभी सक्रिय व असक्रिय सदस्यों की वर्ष भर रही उपलब्धता को धन्यवाद देता हू̐ । महाविद्यालय में भारतीय संस्कृति सभा ने कार्यक्रमों का लगातार आयोजन कर अपनी पहचान को और मजबूत किया। सभा की ओर से महाविद्यालय की प्राचार्या महोदया का आभार व्यक्त करता हूँ। आप का साधुवाद व आशीर्वाद कार्यक्रमों की स्वीकृति के रूप में ही वर्ष भर बना रहा। प्रत्येक कार्यक्रम में आप की उपस्थिति ने छात्रों व शिक्षकों को कर्मठता का सबक सिखाया। सभा विद्यालय के प्रत्येक छात्र, छात्रा, शिक्षक अशिक्षक कर्मचारियों का भी हार्दिक आभार व्यक्त करती है। आगामी सत्र में भी आप सभी की अनुकम्पा की वर्षा की कामना के साथ अपनी कलम को विश्राम देता हूँ

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