P.G.D.A.V. College was established in 1957 to address the challenges of higher education in the newly burgeoning nation. One of the oldest colleges of the University of Delhi, P.G.D.A.V. is an integral part of the rich heritage of the Dayanand Anglo Vedic movement—a pioneering social reform movement since the 19th century. The great saint and the founder of Arya Samaj Maharshi Dayanand Saraswati's vision for modern global education within the Indian milieu is an inspiring gospel for our mission at P.G.D.A.V.
In 'Satyarth Prakash', Maharshi propounds that Shiksha (education) helps one acquire knowledge, culture, righteousness, self-control and virtues, and also eradicates ignorance and evil habits. Scientific temperament, rationality, universal education, and women's education constituted the core principles of Arya Samaj. P.G.D.A.V. College offers a combination of Shiksha and Samskara—modern education rooted in Indian values for nation-building and the welfare of society.
The College is proud of its highly qualified teaching and supporting staff. We offer thirteen exciting undergraduate and four postgraduate courses across twelve disciplines. There are both the Honours and Programme degrees at the undergraduate and postgraduate levels. Our resolve towards inclusive education and a better society has grown stronger since the pandemic; we engage more creatively with our students through online and offline pedagogical resources.
Our College offers state-of-the-art infrastructure, one of the best library facilities, and affable supporting staff. The College comprises smart classrooms, an auditorium, conference halls, well-equipped labs, and international standard sports facilities. We have avowed for 'Sarvangin Vikas', the overall development of our wards at P.G.D.A.V. Co-curricular and cultural activities are integral to learning at P.G.D.A.V. along with rigorous academic training.
We have an enabling environment, training facilities and guidance for nurturing and grooming students in sports, fine arts, music, dance, theatre and many other skills. Our wards achieve accolades on national and international platforms. P.G.D.A.V. is the proud alma mater of many international sports persons and artists of world repute.
Our commitment to inclusive education grows from strength to strength. We facilitate a conducive learning environment for our differently-abled students by offering friendly infrastructure and forthcoming staff. A thriving Enabling Cell helps make the college a more sensitive space for differently abled students.
Several scholarships are available for helping and encouraging young learners. Recently, a student fund was created to financially aid students adversely affected by the COVID-19 pandemic. P.G.D.A.V. sensitizes students towards mother nature and takes pride in sustainable practices for enhancing green cover and reducing carbon footprints.
'Vishwa Kalyan', global welfare and 'Rashtra Nirman', nation building through value-based scientific education, our guiding force at P.G.D.A.V. We warmly welcome new members of the P.G.D.A.V. family for an enriching learning experience and an association for life.
Asato Ma Sadgamaya! From untruth to the truth! (Brhadarayanka Upanishad).Prof. Krishna Sharma
उभरते राष्ट्र में उच्च शिक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए 1957 ई. में पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय की स्थापना की गई। दिल्ली विश्वविद्यालय के सबसे महत्त्वपूर्ण महाविद्यालयों में से एक पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय, 19वीं शताब्दी के अग्रणी सामाजिक सुधार आंदोलन (दयानंद एंग्लो वैदिक आंदोलन) की समृद्ध विरासत का एक अभिन्न अंग है। महान संत और आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का भारतीय परिवेश में आधुनिक वैश्विक शिक्षा का दृष्टिकोण पी.जी.डी.ए.वी. में हमारे मिशन के लिए प्रेरणा है। महर्षि दयानंद ने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ में प्रतिपादित किया है कि शिक्षा वह साधन है जो ज्ञान, संस्कृति, धार्मिकता, आत्म-संयम और इसी तरह के अन्य गुणों को प्राप्त करने में मदद करती है; अज्ञानता और बुरी आदतों को भी दूर करती है। आर्य समाज के मूल में वैज्ञानिक स्वभाव, तर्कसंगतता, सार्वभौमिक शिक्षा और महिला शिक्षा प्रमुख है। पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय शिक्षा और संस्कार का श्रेष्ठ रूप उपलब्ध कराता है और इसके अंतर्गत महाविद्यालय राष्ट्र निर्माण और समाज कल्याण के लिए भारतीय मूल्यों से अंतर्निहित आधुनिक शिक्षा प्रदान करता है।
महाविद्यालय को अपने उच्च, योग्य और अनुकूल शिक्षण और सहायक स्टाफ पर गर्व है। महाविद्यालय कुल बारह अनुशासनों में, तेरह स्नातक और चार स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की शिक्षा प्रदान करता है। स्नातक स्तर पर ऑनर्स और प्रोग्राम दोनों प्रकार के पाठ्यक्रमों की शिक्षा की व्यवस्था महाविद्यालय परिसर में करवाई जाती है।
कोरोना महामारी के बाद से समावेशी शिक्षा और बेहतर समाज के प्रति हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है। इसके पश्चात हम ऑनलाइन और ऑफलाइन शैक्षणिक संसाधनों का उपयोग करके छात्रों के साथ और अधिक रचनात्मक रूप से संलग्न हुए।
महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, इन सुविधाओं में समृद्ध पुस्तकालय और विश्व स्तरीय खेल प्रशिक्षण की सुविधाएँ भी शामिल हैं। महाविद्यालय में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए स्मार्ट क्लासरूम, सभागार, सम्मेलन कक्ष, सुसज्जित प्रयोगशालाएं और अंतर्राष्ट्रीय मानक की खेल सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय में शैक्षिक प्रशिक्षण के साथ सह- पाठ्यचर्या और सांस्कृतिक गतिविधियाँ अधिगम के अभिन्न अंग हैं। खेल, ललित कला, संगीत, नृत्य, रंगमंच और अन्य अनुशासनों में छात्रों के प्रतिभा और कौशल संवर्द्धन के लिए महाविद्यालय में सक्षम वातावरण, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की सुविधा उपलब्ध है। पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सम्मान मिलता है। यह गौरव का विषय है कि पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय अनेक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों और वैश्विक ख्याति प्राप्त कलाकारों की मातृ संस्था है।
महाविद्यालय विद्यार्थियों की समावेशी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। महाविद्यालय में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। उनकी सहायता के लिए संवेदनशील कर्मचारी सदैव उपलब्ध रहते हैं। महाविद्यालय में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाने के लिए एक संपन्न व सक्षम प्रकोष्ठ निरंतर कार्यरत है। यह प्रकोष्ठ विद्यार्थियों की हर संभव मदद करता है।
महाविद्यालय में जरुरतमंद विद्यार्थियों की मदद करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कई छात्रवृत्तियाँ उपलब्ध हैं। हाल ही में, कोरोना महामारी से प्रभावित छात्रों की आर्थिक सहायता हेतु एक छात्र कोष बनाया गया है और इससे अनेक छात्रों को आर्थिक मदद दी गई। यह गर्व का विषय है कि महाविद्यालय छात्रों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाता है, हरियाली बढ़ाने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करता है। महाविद्यालय में वैज्ञानिक शिक्षा और मूल्य आधारित शिक्षा के माध्यम से ‘वैश्विक कल्याण’ व 'राष्ट्र निर्माण' के प्रति जागरूक छात्र-छात्राओं का निर्माण किया जाता है। महाविद्यालय, परिवार में नए सदस्यों का हार्दिक स्वागत करता है।
असतो मा सद्गमय।
(असत्य से सत्य की ओर) -बृहदारण्यकोपनिषद्
प्रो. कृष्णा शर्मा